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________________ कलिल माफि लिगको पं श मोहा घा निक्स मी राष् की ि मानना भ्रमात्मक नही है । डॉ० : सरका किया है कि नानाघाट शिलालिपि का शिलालेस ईसाकै पूर्व प्रथम शतीके शेषार्द्ध का है । १५ फर्गुसन र बर्गेस ने नासिक गुफाद्योंको ई०पू० प्रथम शताब्दीके शेषार्द्धका माना है । सर जॉन मार्शसने भी यह स्वीकार किया है कि " प्राध्र सात बाहन वंशके दूसरे बाजा कृष्ण के समय नासिकका एक क्षुद्र विहार चैत्यके रूपमें पुनगंठित हुआा था । पन्रत्यह मत तो कृष्ण ने ई० पू० पहली शती के प्रतिंम भानुमें राजस्व क्रिया था । अतः उनके उत्तराधिका... पाणी सामनिका के ओज डॉ० चौधरी नानघाट के ि के भतसे पूरा का मत प्रवेष्टा मात्र रह जाती है । असिएल कभी ई० पू० दूसरी नहीं बल्कि पहली शताब्दी के अन्तिम भागके ही रहे । महापद्मनन्द वंश के प्रतिष्ठाता के रूपमें 'ऐकबाट' 'सर्वक्षत्रा 55 Select Inscriptions, 56 Cave Temples of India by Messrs Fergusson and Burgess, 57 C. H. India Vol. I 636 ff.
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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