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________________ पामा Homponed the threnTouryalmshaaye of Nandrajstोनवार्य जो पालियर समानेकशिलकुल बदल बिकाउन सबमें तिब काम १०३वर्ष पहले पहल डायनासोर गरी दिवसका बर्ष ३०. वर्ष समाया बबादकोसे अस्वीकार करके सो जुडा केमिकको सामने आये ६ . . डा० जायसवालने सोचा था कि मालवसनीकी तकि ईहिन्द" में वर्णित नन्द सम्वत्सारके मनुसार ही हाकीगुफा मिलासेशका "तिक्ससत" लिखा गया है। पाजिटरमी गानाके अनुसार प्रथमनन्दने ई० पू० ४.२ में सिंहासनारोहन किया था। अगर पही हो तो मानना पड़ेगा कि ई.पू. २९-(ई.पू.४०२१०३ तिब्ससत्त-२६६)में ही नन्दराजाके द्वारा कलियमें निर्मित केनान वा नहरको पुनः निर्मित किया गया था पर यह असम्भव सापान पड़ता है। क्योंकि इसके पू. ३२२ से लेकर ई०पू० १८९ भारतपर मोर्योका-प्रखड सलल चल रहा था। प्रो. राखालदास मर्जी की भी प्रान्त : बाराको कि नन्दवंशके प्रबमराबा ने सारवेल के गद्दीपर बैठनेके १० से पहले ही (१०३+५) कलिंगमें केनाल का निर्माण किया था . उनके मतमें नन्द-सम्बत्सर ई०पू० ४५८ से प्रारम्भ हुमाया . अभी लहरका निर्माण कार्य ई.पू. २४ में: (१५८-१०३) संपूर्ण हुया था। परन्तु पाल्यापक बनी १०३वर्षको नन्दराबा 35. International Oriental Congress Proceedings Leyden 1884. 36. Ep. Ind. Vol.XApp.No 1345 page 161 । 37 J. B.03; R. S. IIL1911-425ff 38. Ep. Ind.XX 77 ff 39. J. B.O.RS.XIII 238, ', - - -- - -
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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