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________________ नैमि, पाश्र्वनाथ, महावीर कोई किसीसे कम नही थे। २४ तीथंकरो को मिलाकर जैन बोग कुल ६३ शलाका पुरुषो को स्वीकार करते है । वे है २४ तीर्थकर १२ चक्रवर्ती ६ बलदेव ६ नारायण (वासुदेव) ९ प्रति नारायण (प्रति वासुदेव ) ये ६३ शलाकापुरुष है, जिनका विशद विवरण निम्नप्रकार है २४ तीथंकर ऋषभ, अजित, सभव, अभिनन्दन, सुमति पद्मप्रभ, सुपारी, चद्रप्रभ, सुविधि, शीतल, श्रेयाश, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुंथनाथ,परनाथ, मल्ली, मुनि सुब्रत, नमि, नेमि, पार्श्वनाथ, महावीर । १२ चक्रवती भरत, सगर,मघवान्,सनत्कुमार, शान्तिनाथ, कुन्थनाथ, अरहनाथ, सुभौम, पद्मनाभ, हरिषेण, जयमेन, ब्रह्मदत्त । ६ बलदेव-अचल, विजय, भद्र, सुषम, सुदर्शन, मानन्द, नन्दन, रामचन्द्र, पद्म । नारायन याबासुदेवत्रिपृष्ट, द्विपृष्ठ, स्वयभू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिह,पुण्डरीक, दत्तदेव लक्ष्मण, कृष्ण । ६ प्रतिनारायण या प्रतिवासुदेवअश्वग्रीव,तारक,मेरक,मधु,निशुंभ,बालि,प्रहलाद.रावण,जरासष जैनधर्ममे वीरत्वकी गाथा निराले ढगसे की गई है। उस मे त्याग की कथा या अपने को जीतनेकी कथा है। सच्चा जैन वह है जिसने अपने को जीता है यानो सारी बासनाओ पोर प्रवृत्तियों को अपने वश में कर रक्खा है। जिसने निजको जीत
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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