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________________ छिन्न-पल्लव पडित लक्ष्मीनारायण साहू एक ऐसे प्रख्यात साहित्यकार है कि उनका परिचय देनेवी प्रावश्यकता नहीं। फिर भी पाठको की जिज्ञासा की पूर्ति के लिए सक्षपमे यहा पर उनका परिचय देना उचित है । बह उडीसाकी विभूति है । सन् १८६० ईसवी मे उनका जन्म बालेश्वर जिलेके एक हलवाई वशमे हुप्रा पा। वह जन्मे तो १९ वी शताब्दी में है, परन्तु उनका नाम और काम चमका २० वी शताब्दी मे। उनकी विशेषता यह है कि पद्यपि वह एक नितान्त दरिद्र परिवार में जन्मे थे किन्तु उन र कुटुम्बमे यह दरिद्रता आकस्मिक थी। वैसे उनके पितामह एक बडे धनी व्यापारी थे अकस्मात् प्रकृतिके कोपसे उनके पितामह की मृत्युके पश्चात् उनके पिताका सबकुछ घरवार, कोठा महल प्रादि और जहाज-व्यवसाय नष्ट हुमा था। लक्ष्मीनारायण बाबू बचपन अपने पिताकी दुकान पर बैठकर मिठाई बनाते और बेचते थे। किन्तु उनका उज्ज्वल भविष्य उनके जीवनकी कनखियोसे झांक रहा था। उनकीप्रतिभाको देखकर बालेश्वर जिला स्कूल के प्रधानम०श्री लोकनाथ घोष उनपर सदय हुये और उनकी ही सहृदयतासे इनको अधिक उच्चशिक्षा पानेका सुयोग मिला, सन १९०८ मे बालेश्वर जिला स्कूल से ऐट्रन्स पास किया। सस्कृतमें एकपदक और एकवृत्ति भी उनको मिली थी। इसके बाद ज्यो त्यो करके उन्होने कटक रेवेन्सा कालेज मे शिक्षा पाई। मार्गकी अनेक विघ्न-बाधामो प्रौर दुःख दूरवस्थामो को पार करके वह प्राई०एस-सि. परीक्षा में उत्तीर्ण
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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