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________________ 1. शान्तिदूत (नाटक), 2. भगवान महावीर, 3. अग्नि-परीक्षा, 4. विराग की ओर। वे ऋषभ-छाया-सदन टूंडला के संस्थापक रहे। ब्रह्म. पं. बिहारीलाल शास्त्री आपका जन्म खेरी (बरहन, आगरा) में वि.सं. 1963 में हुआ। आपने हस्तिनापुर, बनारस एवं मथुरा से उच्च शिक्षा ग्रहण कर अम्बाला, मेरठ, अलीगढ़ और जलेसर की जैन पाठशालाओं में प्रधानाध्यापकी की और मेरठ में सहजानन्द-शास्त्रमाला में जैन-दर्शनादि के अमूल्य ग्रन्थों के प्रकाशन की व्यवस्था की। ब्रह्म. पं. श्रीलाल शास्त्री काव्यतीर्थ इनका जन्म सन् 1896 टेहू (आगरा) में हुआ। अपने दृढ़ संकल्प एवं लगन के कारण सन् 1912 तक उनकी गणना प्रौढ़ विद्वानों में होने लगी थी। इनकी कुशल-प्रतिभा से प्रभावित होकर उनके तथा पं. गजाधरलाल शास्त्री के सहयोग से जैन-साहित्य के उद्धारक पं. पन्नालाल वाकलीवाल ने जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी सभा (प्रिंटिंग प्रेस) को जन्म दिया। पहले उन्होंने उसकी स्थापना बनारस में की किन्तु किन्हीं विशेष कारणों से वे उसे वहां से समेटकर कलकत्ता ले गये। इस संस्था ने सचमुच ही पत्र-परीक्षा, तत्त्वार्थराजवार्तिक, समय-प्रभात, शब्दार्णव-चन्द्रिका, जैनेन्द्र प्रक्रिया, गोम्मटसार (पं. टोडरमल जी की टीका के साथ मकरध्वज-पराजय, आराधनासार, पद्पुराण (दौलतराम जी कृत) कातन्त्र-व्याकरण, सर्वार्थसिद्धि एवं विमलपुराण आदि जैन दुर्लभ ग्रन्थों को अत्यन्त प्रामाणिकता के साथ प्रकाशित किया। वह विरोध का जमाना था। जैन समाज जैन-ग्रन्थों को प्रेस में छपाने पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 360
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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