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________________ प्रगतिशील पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन संगठन' (पं.) प्रस्तुति-सतीश जैन (गुड्डू भाई) मंत्री, प्रगतिशील प.पु.दि. जैन संगठन आज हम संकट की दहलीज पर खड़े हैं। अगर अभी से पूरी तैयारी नहीं की तो स्थिति भयावह हो सकती है। वर्तमान जितना चिंतनीय है, भविष्य उतना ही अस्पष्ट है। आगे बढ़ने में बहुत-सी व्यवहारिक उलझनें हैं। अतः हमें वर्तमान की समीक्षा करते समय भविष्य दृष्टा भी बनना होगा। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि पद्मावतीपुरवाल जाति की किसी भी स्थानीय अथवा अखिल भारतीय संस्था के स्वतंत्र अस्तित्व में प्रत्यक्ष । अथवा परोक्ष रूप से हस्तक्षेप करना इस संगठन का उद्देश्य नहीं है। पद्मावतीपुरवाल जाति का प्रत्येक व्यक्ति, उनका संगठन और उनका सामूहिक नेतृत्व हमारी जातीय प्रगति का आधार है। इसलिए हमारी यह भावना और कामना है कि हमारी सभी जातीय संस्थाएं सुसंगठित, सुव्यवस्थित और एकजुट हों। इसके लिए हमारा विनम्र सुझाव यह है कि स्थानीय संस्थाएं/संगठन अपने अपने क्षेत्र में रहने वाले पद्मावती पुरवाल जाति के प्रमुख विद्वानों, श्रेष्ठियों, उच्च शिक्षा प्राप्त युवक युवतियों और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सामान्य श्रावक श्राविकाओं के नाम पते और फोन नम्बर संकलित करके अपने संगठनों को उपयोगी और मजबूत पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 263
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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