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________________ श्री मदन गोपाल जी और रामस्वरूप जी आपके दो पुत्र हैं। श्री रामस्वरूप जी की क्लाथ मार्केट, फतेहपुरी पर बिजली के सामान की दुकान थी। 1952 में श्री रामस्वरूपजी का निधन हो गया। राम स्वरूप जी के सर्वश्री लालचन्द, सलेकचन्द हरीचन्द, जगदीशचन्द और रमेशचन्द पुत्र हैं। श्री लालचन्दजी का 1966 में और श्री सलेकचन्दजी का 21 अप्रैल 05 को स्वर्गवास हो गया। श्री लालचन्द जी के सर्वश्री सुरेशचन्द, सुशीलवन्द, कैलाशचन्द, सुभाषचन्द और सुनीलचंद पुत्र हैं। श्री सुरेशचन्द नई दिल्ली कमेटी में अधिकारी थे। वे दिल्ली पंचायत के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। श्री सुरेश चन्द जी समझदार और गंभीर व्यक्ति थे। 1999 में उनका स्वर्गवास हो गया। असीम जैन उनका एक होनहार पुत्र है। श्री लालचन्द जी के सबसे छोटे पुत्र श्री सुनील जैन एक नेशनलाइज्ड बैंक की पटना (बिहार) शाखा में कार्यरत थे। बैंक जाते समय किसी ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। __ श्री कालीचरण जी अपने पिता श्री मदनलाल जी के इकलौते पुत्र थे। ये कपड़े का व्यवसाय करते थे। श्री कालीचरणजी का 1966 में स्वर्गवास हो गया। आप काफी समय तक पंचायत की कार्यकारिणी से जुड़े रहे हैं। श्री कालीचरण स्पष्टवादी स्वभाव से विनम्र और धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे। सर्वश्री मोहनलाल, चन्द्रकुमार, इन्द्रकुमार और अशोक कुमार उनके पुत्र हैं। पूरे परिवार में धार्मिक भावनाएं हैं। समाज के साथ सभी का आना-जाना और सम्पर्क रहता है। स्व. श्री हुकमचन्द जैन चौधरी एटा जिले के उड़ेसर जनपद के श्री सेतीलाल जी अपने परिवार के साथ 1914 में दिल्ली आकर दिल्ली गेट रहने लगे। यहां पर उन्होंने परचून की दुकान की। श्री हुकुमचन्द जी बड़े होनहार, समाज और पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 240
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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