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________________ स्व. श्री नेमीचन्दजी रेलवे वाले आगरा जिले के हिम्मतपुर गांव के धर्मनिष्ठ श्री बाबूलाल जी के पुत्र श्री नेमीचन्द 1993 में दिल्ली आये। दिल्ली आकर उन्होंने पुस्तकों का व्यवसाय किया। बाद में उन्होंने पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली और अनेक प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर किताबों के स्टाल ले लिए। प्रथम पत्नी के स्वर्गवास के बाद द्वितीय पत्नी से श्री नेमीचन्दजी को श्री अनिल कुमार और श्री विनोद कुमार दो पुत्र मिले जो अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं। श्री नेमीचन्द जी का 1986 में स्वर्गवास हो गया। श्री नेमीचन्द जी ने पद्मावती पुरवाल पंचायत के विभिन्न पदों पर रहकर समाज की सेवा की है। इनके बड़े पुत्र श्री अनिल कुमार जी का 2004 में स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री नवीन कुमार, प्रवीन कुमार, अजय कुमार और पवन कुमार जैन उनके पुत्र हैं। श्री अनिल जी संकोची स्वभाव के अच्छे इंसान थे । इनके पुत्र मिलनसार और सभी के प्रति सद्भावना रखने वाले हैं। सभी आयोजनों में अपना योगदान देते हैं। श्री नेमिचन्द जी के दूसरे पुत्र श्री विनोदकुमार जी अपनी धार्मिक प्रवृत्ति के लिए ख्याति प्राप्त हैं। दूरदृष्टि और विनम्रता आप में कूटकूट कर भरी हुई है। सभी आयोजनों में उपस्थिति और आर्थिक योगदान उनका निरंतर मिलता है। पद कोई नहीं ते पर काम बिना पद के भी बहुत करते हैं। इनके बड़े पुत्र श्री पंकज जैन पंचायत की कार्यकारिणी के पिछले 6 वर्ष से सदस्य हैं और छोटे पुत्र श्री मनोज जैन, सभी आयोजनों की संयोजक समिति के सदस्य अथवा संयोजक रहते हैं । पूरा परिवार विनम्र, धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठ है । स्व. श्री राम स्वरूप कालीचरण जैन, दिल्ली गेट सन् 1930 के आसपास एटा जिले के ख्याति प्राप्त जनपद चिरौली चावली से श्री छेदीलाल जी सपरिवार दिल्ली आकर दिल्ली गेट रहने लगे। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 239
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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