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________________ ने नजफगढ़ (दिल्ली) के धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में यश के नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इनका टाइल्स का व्यवसाय तो उच्च स्तर पर है ही। श्री पी.डी. जैन इण्टर कालेज, फिरोजाबाद इस विद्यालय की स्थापना मूलतः जैन दर्शन के प्रकाण्ड पंडित श्री पन्नालाल जी 'न्यायदिवाकर' की स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए उनके जन्म स्थान जारखी (आगरा) के कुछ उत्साही नवयुवकों ने 8 दिसम्बर 1927 को की थी। नाम श्री पन्नालाल दि. जैन व्यापारिक विद्यालय रखा गया। बच्चों को व्यापार का प्रारम्भिक ज्ञान देकर निर्धन साधर्मी भाइयों की आर्थिक स्थिति सुधार कर समाज को समुन्नत बनाना इसका उद्देश्य था। श्री छेदीलाल बजाज, विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष, श्री रामस्वरूप 'भारतीय' मंत्री तथा विशम्भर दयाल कोषायक्ष थे। वस्तुतः श्री 'भारतीय' ही विद्यालय के प्राण थे। उन्हीं के सबल कंधों पर ही विद्यालय का पूरा भार था। और वे बड़ी कुशलता से अपने दायित्व का निर्वाह करते थे। तीन-चार वर्ष भली-भांति चलकर अन्ततः 1932 में यह विद्यालय आर्थिक विषमताओं के कारण समाप्त हो गया। जिस प्रकार श्री न्याय दिवाकर जी जारखी ग्राम छोड़कर स्थायी रूप से फिरोजाबाद आ बसे थे वैसे ही उनकी पुनीत स्मृति में जारखी ग्राम में रोपा गया विद्यालय रूपी यह विरवा फिरोजाबाद के कुछ उत्साही लोगों द्वारा उस ग्राम से लाकर इस नगर में 'ट्रांसप्लांट' कर दिया गया। इनमें प्रमुख थे सर्वश्री लाला ज्योति प्रसाद, बाबू सुनहरी लाल मुख्तार, पांडे श्रीनिवास, मास्टर सन्तलाल, लाला रामशरण एवं लाला धनपाल एटा वाले। विद्यालय को लोहियान गली स्थित मुंशी बंशीधर की धर्मशाला में स्थापित किया गया और इसके सम्यक् संचालन हेतु पांडे श्रीनिवास इसके अध्यक्ष और लाला रामशरणजी मंत्री चुने गए। दो दशक तक विद्यालय पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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