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________________ विज्ञान की स्नातकोत्तर शिक्षा संस्था श्री छदामी लाल जैन महाविद्यालय की स्थापना के लिए स्व. सेठजी को प्रेरित करने वाले बाबू हजारी लार हीये। वे कर्मठ कांग्रेसी कार्यकर्ता तो थे ही, कई वर्षों तक वे नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। ' एक बार सरकार ने श्री कैलाशचन्द्र चतुर्वेदी एवं श्री गिरिजाशंक भटनागर के साथ बाबू हजारी लाल जैन को आनरेरी मजिस्ट्रेट की बैंच मनोनीत किया था। बाबूजी ने सम्मान का यह पद यह कहकर अस्वीका कर दिया कि इस नगर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अल्प संख्यव (मुस्लिम) समुदाय का है। अतः बैंच में उक्त समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में एक मुस्लिम का भी मनोनयन होना चाहिए। कहने की आवश्यकत नहीं कि शासन ने बाबूजी के सुझाव और त्यागपूर्ण भावना की सराहन करते हुए बैंच में उनके स्थान पर श्री आफताब अहमद को नामित किया ऐसे उदार, त्यागी और न्याय प्रिय थे बाबू हजारीलाल जी। नगर पालिका फिरोजाबाद द्वारा बाबूजी के निवास स्थान वाली गली क नाम 'हजारीलाल जैन मार्ग' रख दिए जाने के अलावा इस नगर में स्व बाबू हजारीलाल जैन की स्मृति रक्षा हेतु कुछ नहीं किया। हर्ष का विषर है कि उनके सुपुत्रों ने अपने पूज्य पिता की कीर्ति रक्षा हेतु उनकी एव आदम कद प्रतिमा अस्पताल के मुख्य प्रवेश द्वार के सम्मुख स्थापित क दी है, जिसका अनावरण उ.प्र. के तत्कालीन वन एवं जन्तु मंत्री श्री रघुब दयाल वर्मा ने 23 अगस्त 1998 को किया। श्री हजारीलाल र्ज पद्मावती-पुरवाल जाति के प्रथम ऐतिहासिक पुरुष हैं, जिनका बुर (स्टेच्यू) किसी सार्वजनिक सरकारी संस्थान में स्थापित है। सर्वर्थ प्रकाशचन्द, उमेशचन्द, सतीशचन्द, नवीनकुमार व सुशीलकुमार आपवं योग्य एवं सुसंस्कारित पुत्र है। इनके द्वितीय पुत्र श्री उमेशचन्द (मुखियाजी पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 14
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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