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________________ अपर प्राइमरी स्तर तक इस धर्मशाला में चलता रहा । यद्यपि इसके जीवन में कई बार उतार-चढ़ाव आए किन्तु उत्साही कार्यकर्ताओं ने इसकी जड़ों को सूखने नहीं दिया। यहां स्व. पं. हरिप्रसाद (नगला सिकंदर) का श्रद्धापूर्ण स्मिरण आवश्यक है जिन्होंने विद्यालय को प्राणपण से जीवित बनाए रखा। दैवयोग से 1950 में विद्यालय को स्थानीय एस.आर. के. इण्टर कालेज के भू.पू. अध्यापक पं. हाकिम सिंह उपाध्याय का सत्यपरामर्श और गतिशील सेवाएं सहज ही उपलब्ध हो गईं और 1950 की जुलाई में ही विद्यालय अपर प्राइमरी से जूनियर हाईस्कूल हो गया। सुदृक्ष प्रधानाध्यापक, योग्य और अनुभवी अध्यापक मण्डल और उत्साही कार्यकर्ताओं की लगने से तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उपाध्यायजी और कार्यकर्ताओं को स्वयं ही 'हायर सैकण्डरी स्कूल' के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु आवेदन माध्यमिक शिक्षा परिषद् को भेजने के लिए प्रेरित किया। शिक्षा परिषद् द्वारा निर्धारित सभी परिस्थितियां अनुकूल और संतोषजनक पायी जाने पर अधिकारियों ने 1951 में जुलाई मास से कला वर्ग में हायर सैकिण्डरी स्कूल की मान्यता प्रदान कर दी। हायर सैकिण्डरी स्कूल की मान्यता प्राप्त होते ही अतिरिक्त भवन और 'सुरक्षित कोष' की आवश्यकता पड़ी। समस्या कठिन थी लेकिन 'जहां चाह वहां राह' की उक्ति के अनुरूप इन आवश्यकताओं की आपूर्ति हो गई। सुरक्षित कोष की राशि प्रबन्ध समिति ने आपस में चन्दा कर जमा कर दी। स्थानीय श्री दि. जैन पद्मावती पुरवाल फण्ड कमेटी ने बाहुबली पार्क और नसिया हेतु खरीदे विशाल भू-खण्ड पर विद्यालय कमेटी की प्रार्थना पर उन्हें नवीन भवन निर्माण की अनुमति दे दी। भवन निर्माण हेतु धन कमेटी के उत्साही सदस्यों ने अत्यन्त परिश्रम पूर्वक चन्दा एकत्र कर पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 146
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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