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________________ पंडित कुंजीलालजी शास्त्री ' पिता श्री छदामीलाल जी जैन की एकमात्र संतान के रूप मे आपका जन्म 4 नवम्बर 1921 में मटसेना ग्राम पो. अहारन जिला आगरा उत्तर प्रदेश में हुआ था। डेढ़ वर्ष की अल्पायु में माता श्रीमती मालादेवी जैन का स्वर्गवास हो गया। अपने ग्राम में प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त कर नगला सिकन्दर पढ़ने गये। बाद में श्री गोपालदास वरैया दि. जैन सिद्धान्त विद्यालय मोरैना से 1939 में शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की और वहीं 6 वर्ष धर्म अध्यापक रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् 1944 से 52 ई. तक सुप्रसिद्ध फर्म श्री राजेन्द्रकुमार कुंवर जी जैन कलकत्ता की फैक्टरी में मैनेजर पद पर 8 वर्ष कार्य किया। सन् 1946 में हावड़ा (कलकत्ता) के साम्प्रदायिक उपद्रव में दो हजार मुसलमानों द्वारा फैक्टरी पर आक्रमण हुआ और आपकी सारी सम्पत्ति लूट ली गई। अध्ययन की लालसा समाप्त नहीं हुई और पुनः लौकिक शिक्षण हेतु कमर कस ली तथा सन् 1954 से हाई स्कूल परीक्षा में सम्मिलित होकर 1963 तक हिन्दी तथा संस्कृत में एम.ए. किया। इस अवधि में आपने स्वतंत्र व्यवसाय के रूप में पुस्तक प्रकाशन एवं विक्रेता का कार्य किया। 1963 के बाद पुनः अध्यापन क्षेत्र में उतरे और श्री जैन विद्यालय गिरडीह (हजारी बाग) में प्रधानाध्यापक पद पर कार्य किया। इस प्रकार 'एक म्यान में दो तलवार' जैसा काम किया। एक ओर व्यापार दूसरी ओर अध्ययन। सन् 1966 में भागलपुर विश्वविद्यालय से Dip-Edu की उपाधि ग्रहण की जो कि आपकी सेवा में स्थायित्व देने में सहायक हुई। पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 91
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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