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________________ महामन्त्र णमोकार और ध्वनि विज्ञान | 81 गतिमयता सिद्ध करना। फिर भी आधुनिक सभ्यता की मांग है कि किसी भी बात को तर्क सिद्ध करके ही स्वीकार किया जाए । अतः इस चर्चा में महामन्त्र की अनेक शक्तियों के साथ उसकी ध्वन्यात्मक महत्ता की एक सक्षिप्त किन्तु पूर्ण झलक दी गयी है। ___ 1. ध्वनियों की सम्पूर्ण ऊर्जा इस महामन्त्र में निहित है। वर्णो का सयोजन और गठन का क्रम ध्वनि तरगों के स्फोटक सन्दर्भ मे है। 2. ध्वनि विज्ञान एक सम्पूर्णता और सश्लिष्टता का विज्ञान है। यह सम्पूर्णता और सश्लिष्टता इस महामन्त्र मे अन्त स्यूत है। 3 इस महामन्त्र का ध्वन्यात्मक पूर्ण लाभ लेने के लिए प्राकृत भापा का अपेक्षित अभ्यास कर लेना आवश्यक है। शुद्ध उच्चारण से ही अपेक्षित आभा मण्डल निर्मित होता है और शुक्ल-ऊर्जा सचारित होती है। 4 णमोकार मन्त्र सदा एक महा समुद्र है। मानव को इसमें गहरेगहरे उतरने पर नित्य नये अर्थ एव ध्वनि गुण की नवीनता प्राप्त होगी। 5. ध्वनि, रंग, और प्रकाश का घनिष्ठ नाता है। इन तीनों को एक साथ समझना होगा । पच परमेष्ठियो के अपने-अपने प्रतीकात्मक रंग है। रग चिकित्सा (कलर थेरेपी) का महत्त्व आज सुविदित है। रग के प्रयोग, वस्त्रो पर, मकान पर और प्रकाश पर करने से रोग-निवारण की प्रक्रिया है ही। ___6 ध्वनि और शब्द ब्रह्मात्मक ध्वनि में अन्तर है। वर्णमातृकाओं के अन्दर गभित तत्त्वों के कारण, वर्ण सयोजन के कारण और भक्त की निष्ठा और एकाग्रता के कारण अद्भुत लौकिक और पारलौकिक प्रभाव उत्पन्न होता है। 7 तर्क की अपेक्षा यह मन्त्र अनुभूति के स्तर पर स्वानुभव का विषय अधिक है। मन्त्र तर्कातीत होते हैं। 8. भाषा वैज्ञानिक स्तर पर, भौतिक स्तर पर, श्रावणिक स्तर पर ध्वनि का अध्ययन करने के साथ-साथ योगिक स्तर एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी ध्वनि को महामन्त्र के सन्दर्भ में सक्षेप में आस्फालिस
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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