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________________ '80 | महामन्त्र णमोकार : एक बैज्ञानिक अन्वेषण बीजों में प्रमुख, कल्याणकारी और लक्ष्मी प्राप्ति मे सहायक है। पीतवर्णी, द्धि मुडली युक्त, मीनराशि, सोम ग्रह युक्त तथा भूतत्व युक्त है। इसकी ध्वनि दन्त्य है और ओ के सहयोग से वह दन्त्योष्ठ हो जाती है । ओ मातृका उदात्तता का सूचक है, निर्जरा हेतुक, रमणीय पदार्थों की सयोजिका सिह राशि युक्त, भूमि तत्त्ववती तथा परम कुडली आकार की मातका है। 'लो' मातका दन्त्योप्ठ ध्वनि तरगी होने के कारण कर्मठता और सघर्षशीलता को ध्वनित करती है। अन्तत: विजयपर्व की सूचिका है । साधु परमेष्ठी भी कर्ममय कमों से सघर्प का जीवन व्यतीत करते है। ए- श्वेत वर्ण, परम कुडली (आकार), अरिप्ट निवारक, वायुतत्त्व युक्त, गतिसूचक, निश्चलता द्योतक तालव्य ध्वनि युक्त । स- शान्तिदाता, शक्ति कार्य साधक, कर्मक्षयकारी, कर्मण्यता का प्रेरक, श्वेतवर्णी, कुडलोत्रय आकारवान, जलतत्त्वयुक्त दन्तस्थानीय। ब्ब- कुडलीवत आकार, रोगहर्ता, जल तत्त्वयुक्त, सिद्धिदायक सारस्वत बीजयक्त, भत-पिशाव-शाकिनी आदि की बाधा का नाशक, स्तम्भक, तालव्य ध्वनियुक्त । सयुक्त ध्वनि मातृका होने के कारण द्विगुण शक्ति । सा- 'स' ध्वनि का विवेचन ‘णमोमिद्धाण' के प्रसग मे हो चुका है ! देखिए। हू- 'ह' ध्वनि का विवेचन ‘णमो अरिहताण' के प्रमग मे हो चुका है । देखिए। ण- 'ण' ध्वनि पूर्व विवेचित है ही। महामन्त्र णमोकार अनादि-अनन्त महामन्त्र है। इसकी गरिमा महता और मगलमयता सहस्रो वर्षो से अनेक भक्तो के प्रचुर अनुभव द्वारा प्रमाणित होती आ रही है। इसकी महत्ता को सिद्ध करना कुछ ऐसा ही है जैसे कि अग्नि की उष्णता सिद्ध करना अथवा वायु की
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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