SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रुपसुंदरी. खरो छे के खोटो छे ते जोवा माटे तेणीना ससराए खेतरमां पोताना पुत्रनी शोध माटे नोकर मोकल्यो हतो तेथी ते एकदम त्यां आव्यो एम म्हने पछी थी स्हमजायु." "ए पछीनी सर्व हकिकत आपने मालमज छे! म्हारी खरी हकिकत शुं ते आज ! हवे आप म्हने बचावो या मारो ! बाकी म्हने म्हारा नीच कर्मनो हवे अत्यंत पश्चाताप थाय छे अने रहेलं आयुष्य कोईपण निर्जन प्रदेशमा इश्वरभक्तिमां निर्गमवानो म्हें निश्चय कर्यो छे. आप अत्यंत दयाळू छो, म्हागे जो के भयंकर गुन्हो छ तोपण तेने योग्य शासन मळी चुक्युं छे एम समजी म्हारा उपर क्षमा करशो एवी आशा छे." - - 9 प्रकरण ७ मुं.jcks - - > देवदत्तने क्षमा अने सत्यनो जय. &# वदत्तनी हकिकत सांभळी सर्वे मनुष्यो आश्चYoर्यमां गरकाव थई गया ! पछी अभयकुमार के लोकने उद्देशीने कहेवा लाग्या ___“ सभ्य गृहस्थो ! आ मामलानो निकाल हवे थया छतां गुन्हेगारनी इत्थंभूत हकिकत पण आपणे हेनाज मोदेथी
SR No.010133
Book TitleMahavir Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Hirachand Gandhi
PublisherMotilal Hirachand Gandhi
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy