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________________ वैवाहिक बन्धन में बन्धने से इन्कार कर दिया था। इस प्रकार जब वैदिक ऋषि स्त्रियों को हर प्रकार से पुरुषों की मुखापेक्षी समझते थे, तब भगवान महावीर ने स्त्रियो की स्वतन्त्रता व उनके समान अधिकार की घोषणा की। यही कारण है कि आज भी भारत में हजारोजैन साध्वियाँ अपनी बात्मा का कल्याण करने के साथ-साथ मानवसमाज का भी कल्याण करती हुई सारे देश की पदयात्रा' करती रहती हैं। सर्वोच्च समन्वयवादी भगवान महावीर सर्वोच्च समन्वयवादी थे । उन्होने बतलाया था कि प्रत्येक पदार्थ मे विभिन्न अपेक्षाओ से बहुत से गुण होते हैं। परन्तु अधिकांश व्यक्ति अपनी अज्ञानता के कारण किसी भी पदार्थ को विभिन्न अपेक्षाओं से न देखकर उसे केवल अपने एक विशेष दृष्टिकोण से ही देखते हैं और फिर उस एक दृष्टिकोण से जो कुछ जाना है उसका ही आग्रह करने लगते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वे उस पदार्थ का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में तो असफल रहते ही हैं, साथ-साथ एक-दूसरे से मतभेद व वैमनस्य भी पैदा कर लेते हैं। इस सम्बन्ध में हम एक उदाहरण देते हैं। राजा रामचन्द्र जी मे क्या-क्या गुण थे? क्या वे केवल पुत्र ही थे? क्या वे केवल पति ही थे? क्या वे केवल भाई ही थे? क्या वे केवल पिता ही थे ? मादि-आदि । यदि महाराज दशरथ यह कहते कि रामचन्द्र जी केवल पुत्र ही हैं और कुछ नहीं, तो क्या उनका यह कथन सर्वांग में सत्य माना जाता ? राम पुत्र अवश्य थे, परन्तु यह केवल सत्य का एक अंश मात्र ही है। महाराज दशरथ की अपेक्षा पुत्र
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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