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________________ होने के साथ-साथ, सीता जी की दृष्टि से वे पति भी थे, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न की दृष्टि से वे भाई भी थे, लव व कुश की दृष्टि से वे पिता भी थे। रामचन्द्र जी के सम्बन्ध में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिये हमे इन सब अपेक्षाओ को दृष्टि मे रखना पडेगा। हम एक और उदाहरण लेते है । क्या हम पाच मीटर की रेखा को यह कह सकते हैं कि यह लम्बी है, या छोटी है अथवा यह बराबर है ? इस पाच मीटर की रेखा को हम चार मीटर की रेखा की अपेक्षा से कहे तो हम इसको लम्बी कहेगे। उसी रेखा को सात मीटर की रेखा की अपेक्षा से कहे तो हम उसी को छोटी कहेगे । इसी प्रकार यदि उसको पाच मीटर की किसी अन्य रेखा की अपेक्षा से कहे तो उसे बराबर कहेगे। इस प्रकार एक ही रेखा किसी अपेक्षा से लम्बी है, किसी अपेक्षा से छोटी है तथा किसी अपेक्षा से बराबर है। यदि हम इन तीनो की अपेक्षाओ को दृष्टि में न रखकर केवल यही कहेगे कि यह रेखा लम्बी है, या छोटी है या बराबर है तो हमारा कथन सर्वांग मे सत्य नही होगा । सम्पूर्ण सत्य को जानने के लिये हमे इन तीनो अपेक्षाओ का समन्वय करना होगा। भगवान महावीर ने सम्पूर्ण सत्य जानने और आपसी वैमनस्य तथा मतभेद दूर करने के लिये इसी प्रकार के समन्वय पर बल दिया था। उनके सिद्धान्त सर्वकालिक और सार्वभौमिक थे भगवान महावीर ने जो सिद्धान्त ससार को दिये, वे किसी विशिष्ट श्रेणी के व्यक्तियो, किसी विशेष देश तथा किसी विशेष काल के लिये ही नही थे, अपितु उनके सिद्धान्त सार्वभौमिक और देश तथा काल की सीमाओं से परे थे। उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, अपरिग्रह व
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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