SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्यक्ति की आज्ञा व सहयोग की आवश्यकता नही है। धर्म किसी भी व्यक्ति का अपना व्यक्तिगत विषय है । अतः प्रत्येक व्यक्ति अपना कल्याण स्वयं अपने ही सत् प्रयत्नो से कर सकता है। किसी भी अन्य व्यक्ति के द्वारा किये हुए अनुष्ठान से किसी का कल्याण नही हो सकता। जिस प्रकार किसी रोग को दूर करने के लिए रोगी को स्वय ही औषधि सेवन करनी पडती है, किसी अन्य व्यक्ति के औषधि सेवन से रोगी का रोग दूर नही हो सकता, ठीक इसी प्रकार अपनी आत्मा का कल्याण करने और सच्चा सुख प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को स्वय ही सम्यक् पुरुषार्थ करना पडेगा । इस प्रकार भगवान महावीर ने जन साधारण को दैन्य से और एक विशेष वर्ग के वर्चस्व से छुटकारा दिलाकर व्यक्तिगत पुरुषार्थ की प्रतिष्ठा की । स्त्रियों के समानाधिकार को मान्यता 1 भगवान महावीर ने, जहाँ तक धार्मिक विषयो का सम्बन्ध है, स्त्रियो को पूर्ण रूपेण स्वतन्त्र व स्वावलम्बी बतलाया । उन्होने कहा कि एक स्त्री को भी धर्म का पालन करने और अपनी आत्मा का कल्याण करने की उतनी ही स्वतन्त्रता है, जितनी कि एक पुरुष को । धर्म प्रत्येक व्यक्ति का, चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष, व्यक्तिगत विषय है । एक स्त्री भी अपने पति अथवा अन्य किसी सम्बन्धी की अपेक्षा के बिना धार्मिक क्रियाओ को सम्पन्न कर सकती है। यही कारण था कि भगवान महावीर के स मे साध्वियो और श्राविकाओं (गृहस्थ महिलाओ) की संख्या साधुओ और श्रावको से कम नही थी। उनके सघ को साध्वियों की प्रमुख एक कुमारी कन्या चन्दनबाला थी, जिसने अपनी आत्मा का कल्याण करने के लिये २८
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy