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________________ ३६ ] प्राचीन जैन स्मारक । (4) बिलारी जिला । यहां ५७१४ वर्गमील स्थान है । चौहद्दी है - उत्तर पश्चिम - तुंगभद्रा नदी, पूर्व में कुर्नूल और अनंतपुर जिला । दक्षिणमें मैसूर । इतिहास - यहां पहले अंध्रवंशी राजा राज्य करते थे । उनके पीछे चौथी शताब्दी में कादम्बोंने राज्य किया । इनकी राज्यवानी बम्बई हातेके उत्तर कड़ाने नगर वनवासी पर थी । इनका धर्म जैन था । ( Who were Jains by religion ) उनके मुख्य नगरोंमें एक शहर उच्चशृंगी हर्पनहल्ली ता० में है। यहां से ४ मील अनजी पर मैसूर स्टेटमें एक शिलालेख चौथी शताब्दी का है । यह बताता है कि कादम्बों और कांचीके पछवोंमें बड़ा युद्ध हुआ था । छठी शताब्दीके मध्य में चालुक्य वंशी राजा कीर्तिवर्मन (सन् १६६ - १९७ ) ने दबा दिया । चालुक्य वंशी राजा मूलमें जैन थे (were originally Jains) पीछे हिन्दू होगए | इनका मुख्य नगर बीजापुर जिलेमें बादामी (वातंपी) है । यहां राष्ट्रकूटोंने दशवीं तक, गंगोंने दशवीं में फिर पश्चिमीय चालुक्योंने ११ वीं शताब्दी में राज्य किया । कमसेकम वेलारी जिले का एक भाग चालुक्योंके पुनः सजीवित राज्यशासन में अवश्य आगया था क्योंकि तेल द्वि० ने कुन्तलदेशको ले लिया था जिसमें हम्बी और 'कुरुगलु शामिल थे । तथा इस राजा के शिलालेख बागली मंदिर में तथा हुडगल्ली ता०के कोगली जैन मंदिर में हैं । अनुमान सन् २०७० तक इनकी राज्यवानी कल्याणी (राज्य निनाम) में रही ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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