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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त | [ ३५ (२) कुम्बम्के दक्षिण अनुमुलपलीमें गरुतवरमकी सड़कके पास एक ऐसा स्थान मिला है। (३) वासनपल्ली - ग्राम के पूर्व दो स्थान हैं । (४) कुम्बम् ता० के जल पलचेरुवके ग्राम मल्लुपुरममें । आमके पूर्व १ मील १२ स्थान हैं । (५) कुम्बम्से दक्षिण पश्चिम १७ मील नरवामें भंगमिनास टीलेके पास चार स्थान हैं । कुम्बम्के उत्तरपूर्वं यचवरम् में एक घाटी में वसनपल्ली व दूसरे ग्रामोंमें जहां जैनधर्मधारी प्राचीन कुर्नाम लोग रहते थे ऐसे स्थान मिले हैं। पोतराजुतुरुके दक्षिण कुछ पाषाणके टीले एक पहाड़ी के पास हैं इनको लोग जैनियोंके समाधिस्थान कहते हैं । चूमयचवरम के पश्चिम एक नदी बहती है जिसका नाम है चेरुबुपयवगु | इसके तटोंपर एक प्राचीन मंदिरके पाषाण और इंटोंके ध्वंश जमीन के नीचे गड़े हैं इसीके ऊपर एक छोटे मंदिरका ध्वंश है । यह मंदिर प्राचीन जैनियोंका है जिनकी बस्ती गज्जनपल्ली और मेरुमें अधिक थी । नल्लुमलईपर श्री शैलम् में पुराने किले व मकान व नगरके ध्वंश हैं जो बताते हैं कि अति प्राचीनकालम यहां वैभवशाली जातियां रहती थीं । श्री शैलम् और अहौविलम्में हिन्दुओं के प्रसिद्ध मंदिर हैं । यहांके स्थान | (१) जगन्नाथघट्ट - एर्रमली पहाड़ीका शिखर ता० रमल्लकोटमें है । इसपर एक मंदिर है । यहां पहले एक जैनमूर्ति थी ऐसा कहा जाता है ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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