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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त | [ ३७ और शायद ११ वीं शताब्दी में ही वे बहुत सुन्दर मंदिर चालुक्य ढंगके, जिनमें बहुत महीन खुदाई है व प्रशंसा के पात्र हैं, हडगली और हरपनहल्ली ता० में बनाए गए थे। इसी समय में कुछ जैन मंदिर भी बनाए गए थे, ऐसा विदित होता है । यद्यपि हम्पीका एक जैन मंदिर जिसको गणिमिती मंदिर कहते हैं सन् १३८५ तक नहीं बनाया गया था । कोगलीकी जैन वस्ती (मंदिर) में होय मालवंशके वीर रामनाथ के दो लेख हैं । सन् १३३६ में तुंगभद्रा नदीके तटपर वर्तमान हम्पीग्रामके निकट प्रसिद्ध विजयनगर नामका शहर बसाया गया था ! विजयनगर के राजाओंने २०० वर्षतक सर्व दक्षिण भारतको मिलाकर राज्य किया और मुसलमानोंको १९६५ तक रोक रक्खा | जैन लोग - अब खासकर बेलारी, हडगल्ली और हरपनहल्ली तालुके में हैं। उनकी संख्या बहुत थोड़ी है, यद्यपि उनके मंदिरोंके खंडहर देशभर में छितरे पड़े हैं । वे बताते हैं कि जैनियोंका धर्म पूर्वमें यहां बहुत विस्तार में फैला हुआ था तथा उनके धर्मका असर जिलेभरके धार्मिक जीवनपर बहुत गहरा था । ( Show how widely their faith must formerly have prevailed, their influence was deep on religious life of distrial). अब इस धर्मको भुला दिया गया है । होसपेत और हिरेहलुमें कुछ बोगाई जैन कुटुम्ब हैं जो पीतलकी वस्तुएं बनाते हैं । पुरातत्व - इतिहास समयके पूर्वकी वसतियां और शस्त्र मदरासके और जिलेकी अपेक्षा यहां अधिक पाए जाते हैं, उनमें से कुछ बहुत उपयोगी हैं । राद्रुग ता के गल्ल पल्लेमें चारों तरफ सैकड़ों
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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