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________________ ~ मदरास व मैमूर पान्त। [२९ (२) नं० ७०९-नेल्लोरके लक्ष्मीनरसिंह स्वामी मंदिरमें स्थापित एक जैनमूर्तिका चित्र । ___ (६) कुड़ापा जिला। यहां ८७२३ वर्गमील स्थान है। चौहद्दी-उत्तरमें कुरनूल, पूर्वमें नेल्लोर, दक्षिणमें उत्तर अर्काट और मैसूर, पश्चिममें अवन्तपुर । इतिहास-यह ११ से १३ शताब्दीतक तंजोरके चोल रानाओंके आधीन था। १४ वीं शताब्दीमें विजयनगरके राजाओं के हाथमें आया। पुरातत्व-यहां पेन्नेरकी घाटीमें इतिहाससे पहलेके पाषाणके शस्त्र मिले हैं। सोम् पिल्ली और कादिरीमें प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं। मुख्य स्थान ।। (१) दानबुलपाद-यहां प्राचीन जैन मंदिर हैं जो खोदनेसे मिले हैं । तेलुगृमें शिलालेख भी हैं। पेन्नारनदीके वाएं तटपर जम्मलु मदुग नामके नगर तालुकासे करीब ५ मील यह छोटासा ग्राम है। यह ग्राम एक बहुत ऊंचे व बड़े टीलेपर बसा है। यह बहुत प्राचीन स्थान था जिसका प्रमाण एक शिलालेख है जो निकटवर्ती ग्राम देवगुडीसे मिला है। इसमें लिखा है कि यहां एक जैनमंदिर था । खुदाई करनेसे जैनस्मारक मिले हैं व दो अन्ध्र राजाओंके सिक्के प्राप्त हुए हैं। खुदाई करनेपर एक मंदिर ११ फुट वर्ग मिला है जिसकी भीते २ फुट ९ इंच मोटी हैं। इंटे बहुत पुरानी एक फुट ९ इंचकी
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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