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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [२९१. सिंहनंदिकी आज्ञासे कोंकण देशकी मंदली पहाड़ीपर एक जिन' चैसालय बनवाया । ददिगका पुत्र माधव उसका हरिवर्मा, उसका विष्णुगोप, उसका पृथ्वीगंग, उसका तदनाल माधव, उसका अवंतिगंग, इसने श्री जिनेन्द्रकी प्रतिमा मस्तकपर लेकर चढ़ी हुई कावेरी नदीको पार किया था। इसका पुत्र दुर्विनीत गंज, इसका मुष्कर, इसका श्री विक्रम, इसका भूविक्रम, इसके दो पुत्र थे-नवकाम और एरंग-एरंगका पुत्र एयंग, इसका श्रीवल्लभ, इसका श्रीपुरुष, इसका शिवमार, इसका मारसिंह, इसने मालव ७ को आधीन किया तब इसका नाम मालवगंग प्रसिद्ध हुआ । मारसिंहने युद्ध में जयकेशीको मारा जो कन्नमुन्जेके राजाका छोटा भाई था। इस मारसिंहका पुत्र अनुपम जगतुंग, इसका प्रसिद्ध राचमल्ल था जो राजविद्याधर व जिनधर्मरूपी समुद्रकी वृद्धिके लिये चंद्र समान था। इसके पोते थे-मरुलय्या और बुटुग परम्मादी । इसका पुत्र एरयप्पा, इसका वीरवेदांग, इसका विद्वान राचमल, इसका एरयंग, इसका वुटुग, इसका मरुलदेव, इसका गुट्टियगंग, इसका मारसिंह, इसका गोविन्द, इसका संगोत्र विजयादित्य, इसका पुत्र राचमल्ल, इसका मारसिंह, इसका कुरुलराजिग, इसका पुत्र गर्वदगंग या गोविदगंग उसके छोटे भाईका पुत्र मालगोविन्द या राक्षसगंग, इसका छोटाभाई कलियंग। इस तरह गंगवंश चलता रहा। क्राणूरगणके आचार्योंकी वंशावली मूलसंघीमें-मुनि सिंहनंदि हुए । इसके पीछे अहंदूबली आचार्य, वेट्टद दमनंदि भट्टारक, बालचन्द्र भट्टारक, मेघ त्रैवेद्यदेव, गुणचंद्र पंडितदेव, गुणनंदिदेव, यह व्याकरणमें ब्रह्मा थे ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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