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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [२५३ rammamerion.inwwwimmmmmmmmm rmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm इस भंडार वस्तीका सम्बन्ध मूल संघ देशीयगण पुस्तक गच्छसे है । नं० ३४५ (१३७) सन् ११५९ कहता है कि नरसिंह प्र० महारानने श्रीगोम्मटस्वामीके दर्शन किये। ____ नं० २४ ० (९०) सन् ११३९ गोमटेश्वर मंदिरके द्वारके दाहनी तरफ कहता है कि जैन धर्मके मुख्य प्रभावना कारक कौन २ थे । प्रथम चामुण्डराय थे जो महाराज राचमल्लके धर्मात्मा मंत्री थे ! उसके पीछे गंगराजा हुए जो विष्णुवर्द्धनके धर्मात्मा मंत्री थे। उसके पीछे महाराज नरसिंह प्र. के मंत्री हल्लाभंडारी हुए। इस हुडाने बंकापुर (जि० धाड़वाड)में उप्पत्तायताके जिन मंदिरका जीर्णोद्धार कराया तथा वहीं कलिविताके ध्वंस व उच्च जिन मंदिरको फिरसे बनवाया । इसने गंगों द्वारा स्थापित कल्लनगिरि सर्वत्र न्यलपर पांच और जैन मंदिर बनवाए । भंडारवस्तीका आचाये श्रीगुणचंद्र सिद्धांतदेवके शिष्य महामंडलाचार्य नयकीर्ति सि० देवको मान्य क्रिया ।। नं०६४ (१०) महा नवमी मंडप शांतीश्वर वस्ती कहता है कि हुललाने अपने गुरु महामंडलाचार्य देवकीर्ति पंडितदेवका स्मारक बनाया जिनका समाधिमरण सन् १९६३में हुआ। तथा उसकी प्रतिष्ठा उनके तीन शेप्य लखनंदी, माधव और त्रिभुवनदेवसे कराई। नं० २४० (९०) सन् ११७५ कहता है कि मुनि नयकीतिक शिष्य अध्यात्मिक बालचंद्रने जैन मंदिर बनवाया। इस लेखमें शासन अधिक वर्णन किया गया है। __नं० ३२७ कहता है कि बेलगोलामें महाराज वल्लाल द्वि० के शिवभक्त मंत्री चंद्रमौलीकी भार्या जिनभक्त अचलदेवीने सन्
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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