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________________ मदरास व मैसूर मान्त। [१९९ सेठीके पुत्र दोदादन्ना सेठी, इनके पुत्र सत्कार सेठीको भूमिदान दी। (४३) नं० ७० ता० ११७८ ई० । ग्राम हतनामें वीरभद्र मंदिरके पास एक पाषाणपर । जब होयसाल वीर वल्लालदेव दोर समुद्रमें राज्य करते थे, तब उसके नीचे दक्षिणका राजा नरसिंह नायक था उसके यहां सोमसेठी काम करते थे । इनकी वंशावली यह है कि प्रसिद्ध एरगंकका पुत्र व वम्मीसेठी भार्या माचियक्का उनका पुत्र गांधीसेठी भार्या माकवे उनका पुत्र यह पट्टनस्वामी सोम था । इसकी भार्या मरुदेवी थी। इसके पुत्र थे गंजग, नरसिंह, सिंगाना और बृचना सोमसेठीने तीन सरोवर व एक पार्श्वनाथ जिनालय अपने नामसे प्रसिद्ध नगरमें बनवाए तथा मूलसं० देशीगण पुस्तकगच्छ कुंदके श्रीगुणचन्द्र सिद्धांतदेवके पुत्र नयकीर्ति सि० देव उनके शिष्य श्रीरामनंदी त्रैवेध उनके छोटे भाई श्रीबालचन्द्र मुनीन्द्रके चरण धोकर इस पार्श्वनाथ मंदिरके लिये भूमि दान की। तथा माधव दंडनायककी आज्ञासे नौकाधीश नरना परगड़ेने इस मंदिरमें अष्टप्रकारी पूजा व दीपके लिये एक तेलकी मिल व नौकाकरका १० वां भाग दान किया। ___(४४) नं० ७६ ता० ११४५ ई. । ग्राम येल्लदहल्लीमें ग्रामके दक्षिण पूर्व ध्वंश जैन वस्तीके एक पाषाण पर । जब दोर समुद्रमें नरसिंह राज्य करते थे तब उसका महामंत्री कौशिक कुलधारी श्रीदेवराज जैन थे उनके गुरुकी वंशावली यह है श्रीगृहपिच्छान्वयमें जैनधर्मके प्रभावना कर्ता श्रीसमंतभद्र और अकलंक हो गए हैं। उसीमें मूलसं० दे० पुस्तकगच्छमें सागर सिद्धांतदेव हुए जो मानो नवीन गणधर थे। उनके शिष्य
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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