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________________ १९८] प्राचीन जैन स्मारक। स्त्री व रायदेव और मरियनेकी माता थी खिदंघट्टीने एक श्रीपार्धनाथका जिनमन्दिर बनवाया। हेग्गणड़े भार्या वमव्वेका पुत्र शांति था उसकी छोटी बहनें देमलदेवी और दुग्गिलेदेवी थीं। भरत चाभूपका बड़ा भाई मरियने चाभूप था उसकी स्त्री बूचले थी व छोटा भाई बाहुबलि दंडनायक था उसकी भार्या नागलदेवी थी। वल्लाल महाराजकी आज्ञासे भरत दंडनायकने बहुतसे शत्रुओंका विध्वंश किया और आप युद्ध में मरा । शाका ११०५में जब वीर बल्लाल राज्य करते थे तब उनके पुत्र वीर नरसिंहदेव पैदा हुए उसके हर्षमें महाराजने बहुत दान किया । महामंत्री मरतिमय्ये दंडनायक और बाहुबलि दंडनायकने कलकोनी नादमें ग्राम सिंदगेरी, वल्लवल्ली, ददिगनकेरी, व अनवसमुद्रका स्वामीपना उस जैन वस्तीके लिये प्राप्त किया जो उन्होंने अनुव समुद्रमें बनवाई थी तथा चाकेयन हल्लीकी जैन वस्तीके लिये भी । शाका ११०६ में उन्होंने ये सब ग्राम श्री देवचन्द्र पंडित देवकी सेवामें भेट किये जो श्री देवकीर्ति पंडितदेवके शिष्य थे । यह श्री गंधविमुक्त सिद्धांतदेवके शिष्य थे जो श्री माघनंदि सिद्धांतदेवके शिष्य थे जिनका सम्बंध मूलसंघ देशीगण कुंद० इंगुलेश्वरवलीकी कल्लीपुरकी सावंत जैन वस्तीके साथ था । (४२) नं० ४३ करीब १६८० ई० ग्राम बेल्लुरुमें, श्री विमल तीर्थकर वस्तीके बरामदेकी भीतपर । पहले श्री समंतभद्र मुनिको नमस्कार हो। श्रीमत दिल्ली, कोल्हापुर, जिनकांची, वेनुगुंडे सिंहाशनाधीश्वर लक्ष्मीसेन भट्टारक द्वारा प्रतिबोधित श्री मैसूर देवराज वोडयरने श्री विमलनाथ चैत्यालयके लिये हुलिकल पद्मन्ना
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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