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________________ १५६] प्राचीन जैन स्मारक । वाले कनड़ी भाषाभाषी बहुत हैं । कहते हैं कि यह वजाल राजा कोल्हापुरके शिलाहर रानाके विरुद्ध युद्ध करने गया था। जब वह लौट रहा था तब भीम नदीके किनारे इसको विष दे दिया गया। इसमें वासवाचार्यका हाथ था तब वज्जालके पुत्र सोमेश्वरने बदला लेनेको वासवका पीछा किया तब वासव भाग गया। ___ इस कलचूरीवंशके नीचे प्रमाण राना हुए। सन् (१) वजाल या विजव, या निशंकमल्ल या ११५६-११६७ त्रिभुवनमल्ल (२) रायमुरारिसोवी, या सोमेश्वर या भुवनैकमल्ल ११६७-११७६ (३) शंकम् या निशंकमल ११७६-११८१ (४) अहवमल्ल या अप्रतिमल्ल ११८१-११८३ (५) सिंधाना ११८३ इसके पीछे इनका बल नहीं रहा । होयसाल या पोयसालवंश-मैसूरमें गंगवंशी राजाओंके दबनेके पीछे जिस स्थानीय वंशने राज्य किया वह पोयसाल या होयसालवंश है। इनका जन्मस्थान सोसेबूर या ससिकपुर (वर्तमानमें अंगडी जिला कदूर) था । कहते हैं कि एक जैनसाधुको एकसिंह उपसर्ग कर रहा था उस समय इस वंशके स्थापकने सिंहको बधकर साधुकी रक्षा की थी तबसे उस रानाका नाम पोयसाल पड़ गया वही अब होयसाल होगया। कहते हैं कि जैनसाधुके आशीर्वादसे उसने राज्यकी स्थापना की। होयसाल वंशी राजा कहते हैं कि वे चंद्रवंशके भीतर यादववंशी हैं । पहले ये पश्चिमी चालुक्योंको अपना स्वामी मानते आ रहे थे। इन्होंने राज्य जमाकर अपनी राज्यधानी दोरसमुद्र
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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