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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [ १५७ पर (वर्तमान में हलेबिड जिला हासन ) स्थापित की । ११वीं शताबदके अंत में इस वंशका विनयदित्य राजा राज्य करता था उस समय इनके राज्यमें कोंकण, अल्वखेड़ ( दक्षिण कनड़ा ), वयलनाद ( वाहनाद), तलकाद ( मैसूर जिलेके दक्षिण), और सविमले ( कृष्णाकी उत्तर ओर ) गर्भित थे । इस वंशके राजाओंने १४ वीं शताब्दीत राज्य किया । पहलेके सब राजा जैनधर्मी थे । नीचे लिखे राजा इस वंश में होगए हैं (१) साल होयसाल (२) विनयदित्य या त्रिभुवनमल्ल एरयंग- शुवराज सन् १००७ (१०) बल्लाल तृ० (११) वीरपक्ष बल्लाल १०४७ से ११०० ,,, १०६२,, १०९५ ,,, ११०१,, ११०४ 99 (३) बल्लाल प्रथम (४) विहिदेव या विष्णुवर्द्धन, वीरंगंग या त्रिभुवनमल (५) नारसिंह प्रथम (६) बल्लाल द्वि० (७) नारसिंह द्वि (८) सोमेश्वर (९) नारसिंह तृ० ११०४, ११४१ ११४१, ११७१ , ११७२, १२१९ 99 77 ,,, १२२०,, १२३५ १२३६, १२९४ ,,, १२५४, १२९१ ,,, १२९१,, १३४२ 77 १३४३ "" विनयदित्यका पुत्र एरयंग चालुक्योंके नीचे बड़ा सेनापति था । इसने कई युद्ध किये । एक युद्धमें इसने मालवाकी राज्यधानी धारको भस्म कर दिया । यह अपने पिताके सामने ही मर
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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