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________________ प्राचीन जैन स्मारक | (२१) नीलगिरि जिला । यहां ९५८ वर्गमील स्थान है । चौहद्दी है - उत्तर में मैसूर, पूर्व और दक्षिण में कोयम्बटूर, पश्चिम और दक्षिण में मलाबार । इतिहास - यहां गंग, कादम्ब व होयसालने राज्य किया है। सन् १३१० में यहां पेरु मतु दुरु दंडनायकका पुत्र माधवदंडनायक राज्य करता था । १३वीं शताब्दी में नायकवंशका राज्य था । यहांके कुछ स्थान । (१) कोटगिरि - कूनूरका पहाड़ी स्टेशन - ऊटकमंडसे १८ मील, कूनूर से १२ मील। यहां उदयरायका ध्वंश किला है । पुराने समाधिस्थान dolwens है । (२) कोणकराय - कोटगिरिसे पूर्वदक्षिण २ || मील | यहांसे दक्षिणपश्चिम २ मील तोतनल्ली ग्राम में गुफाएं हैं जो वेल्लिकी की गुफाएँ कहाती हैं। इसकी भीतोंपर खुदाई है जिनका सम्बन्ध बौद्ध या जैनसे मालूम होता है । ११८ ] (३) परनगिनाद - बेल्लीकी- कुन्नूरके किलेके पास कोलार के उत्तरघाट दो ऊंची चट्टानमें गुफाएं हैं। इनमें जैन मूर्तियां हैं । (२२) मलाबार जिला ! यह बहुत सुन्दर जिला है। इसका प्राचीन नाम केरल है । यहां १७९५ वर्गमील स्थान है । यह दक्षिण कनड़ासे १५० मील अरबसमुद्र तटपर चला गया है । दक्षिण कनड़ा उत्तर में, दक्षिणमें कोचीन है । पूर्वमें कुर्ग नीलगिरि है ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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