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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [ ११७ (८) पलयकायल या पुरानी कायल । तिरुचेन्दूरसे टूटीकोरिन जानेवाली पुरानी सड़कपर । प्राचीन नगर सूरनकादूका स्थान है । नहरके सरोवर के पास दो जैन मूर्तियां हैं । एकको धोबी लोग कपडा धोनेके काम में लेते हैं । (९) पुदुक्कोट्टाई - ( कुमारगिरि ) - ट्यूटीकोरिन से ८ मील । निकटके कुत्तुदंकाडु ग्राममें एक जैन मूर्ति भूमिपर रक्खी है । (१०) शिवलप्पेरी - ता० तिन्नवेली । मरुगलतलाई ग्राममें बौद्ध चिह्न हैं । इस ग्रामसे २ मील पदिनलम् पेरीमें एक चट्टान है जिसको अंदिचिपारइ कहते हैं । यहां एक गुफा ५ फुट वर्ग व ६ फुट ऊँची है। द्वारकी बाई ओर २ खुदी हुई मूर्तियें हैं । (११) मुरम्बा - ओइ पिदरन से पश्चिम दक्षिण ९ मील । सड़कके दाहने बाजू जो सड़क काफ्तूरको जाती है एक जैन मूर्ति है । (१२) नागलापुरम् - ओहपिदरनसे उत्तरपूर्व २२ मील खेतमें एक प्राचीन जैन मूर्ति है । (१३) कायल - श्री वैकुंठम्से पूर्व १२ मील । समुद्रसे २२ मील। ताम्रपर्णीनदीसे दक्षिण- कई जैन मूर्तियां हैं। दो प्राचीन मंदिर हैं व लेख हैं । मदरास एपिग्राफी दफ्तर में यहांके चित्रादि(१) नं० मी २६ - कुलुग्रमलईकी पहाडीपर जैन मूर्ति (२) नं० सी २७ - जैन मूर्तिका समूह (३) नं० सी २८(४) नं० सी २९ , 97 99 "" "" 99 -→→ "" "" "" 19
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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