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________________ (१२) किससे करना चाहिये । उत्तर-(संसारारण्यतः मुधिया) बुद्धिमान पुरुषको संसाररूपी महा अटवासे ॥ २२ ॥ कस्य वशे पाणिगणः सत्यप्रियभाषिणो विनीतस्य । क स्थातव्यं न्याय्ये पथि दृष्टादृष्टलाभाय ॥ २३ ।। ५७ प्रश्न--(कस्य वशे माणिगण!) प्राणीगण किसके वशमें रहते है। उत्तर--(सत्यप्रियभाषिणो विनीतस्य) मत्य तथा प्रिय बोल नेवाले और विनयवान्के । ५८ प्रश्न-(क स्थातव्यं , कहां ठहरना उचित है । उत्तर--( न्याय्ये पथि दृष्टादृष्ट लाभाय ) दृष्ट ( धनादिक ) अदृष्ट (पुण्यादिक) के लाभ के लिये न्यायमागमें ॥२३॥ विद्युदिलसितचपलं किं दुर्जनसंगतं युवतयश्च । कुलशैलनिष्पकम्पाः के कलिकालेऽपि मत्पुरुषाः ॥ २४ ॥ ५९.-प्रश्न-(विहिलसितचपलं कि) विजलीकी चमकके समान चंचल क्या है । उत्तर-(दुर्जनसंगतं युवतयब) दुर्जन पुरुषोंकी मंगति और स्त्रियोंका विलास । ६० प्रभ-(कुलझेलनिष्प्रकम्पा: के कलिकालेऽपि) इम कलिकालमें भी कुलाचल पर्वतोंके समान अचल कौन हैं। उत्तर-(सत्पुरुषाः) सजन पुल ॥ २४ ॥
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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