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________________ ( १० ) अवधीरणा क कार्या खलपरयोषित्परधनेषु ॥ १८ ॥ ४७ प्रश्न - ( कुत्र विधेयो यत्नो ) किस विषय में यत्न करना चाहिये । उत्तर- ( विद्याभ्यासे सदौषधे दाने ) विद्याके अभ्यासमें और उत्तम ( शुद्ध ) औषधियोंके दानमें । ४८ प्रश्न - ( अवधीरणा क कार्या) अवहेलना ( निन्दा ) किसमें करनी चाहिये । उत्तर- ( खलपरयोषितपरधनेषु) दुष्ट पुरुष. wear. और परधनमें ॥ १८ ॥ काहर्निशमनुचिन्त्या संसारासारता न च प्रमदा । का प्रेमी विधेया करुणादाक्षिण्यमपि मैत्री ।। १९ ।। ४९. प्रश्र ( काहर्निशमनुचिन्त्या ) गत दिन क्या चिन्त करना चाहिये । उत्तर - ( संसारासारता न च प्रमदा) संसारकी असारता चिन्तवन करना चाहियें न कि स्त्रीका स्वरूप । ५० प्रश्न - ( का प्रेयसी विधेया) किसको प्रिय बनाना चाहिये । उत्तर( करुणा दाक्षिण्यमपि मैत्री ) दया चतुरता और मित्रताको ।। १९ ।। कण्ठगतैरप्यसुभिः कस्यात्मा नो समर्प्यते जातु । मूर्खस्य विषादस्य च गर्वस्य तथा कृतघ्नस्य ॥ २० ॥
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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