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________________ (९) को मूको यः काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति ॥ १६ ॥ ४१ प्रभ-(कोऽधः) अन्धा कौन है । उत्तर-(योऽकार्यरतः) नो निन्द्यकाम करनेमें तत्पर हों। ४२ प्रश्न-(को बधिरः) बहिग कौन है । उत्तर-(यःशृणोति न हितानि) जो अपने हितकार्ग बचनोंकी नहीं सुनता है । ४३ प्रभ-(को मूकः) गूगा कौन है । उत्तर-(यः काले मियाणि वस्तुं न जानाति) जो ममयपर मिष्ट वचन कहना नहीं जानता है ॥ १६ ॥ किं मरणं मूर्खत्वं किं चानयं यदवसरे दत्तम् । आमरणार्कि शल्यं प्रच्छन्नं यत्कृतमकार्यम् ॥ १७ ॥ ४४ प्रश्र-(कि मरणं ) मरण क्या है। उत्तर ( मूखत्व ) मुखता । ४५ प्रश्न-(किंचानर्थ्य ) अमूल्य क्या है । उत्तर( यदवसरे दरम् ) समयपर दिया हुवा दान । ४६ प्रन-(आमर पारिक शल्यं) मरणपर्यंत सूईके समान हृदयमें चुभनेवाला क्या है । उत्तर--(प्रच्छवं यत्कृतमकार्यम् ) जो कुकार्य गुप्तगतिमे किया गया है ॥ १७ ॥ कुत्र विधेयो यत्नो विद्याभ्यासे सदोषधे दाने ।
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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