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________________ (८) ३४ प्रश्र-(कि दानं) दान क्या है। उत्तर-(अनाकासं) जो किसीप्रकारकी आकांक्षासे न किया जावे वही दान है । ३५ प्रम(किमि) मित्र कौन है । उत्तर-(यनिवर्तयति पापात् ) जो पापसे रक्षाकरे वही मित्र है । ३६ प्रश्र-(कोऽलंकारः) अलंकार-(भूषण) कौन है । उत्तर-(शीळं) शील-(ब्रह्मचर्य) ही मनुष्यका भूषण है। ३७ प्रश्न-(किं वाचां मण्डनं) वाणीका भूषण क्या है। उत्तर(सत्यम्) सत्य ही वाणीका भूषण है ।। १४ ।। किमनर्थफलं मानस मसङ्गतं का सुखावहा मैत्री। सर्वव्यसनविनाशे को दक्षः सर्वथा त्यागः ॥ १५ ॥ ३८ प्रश्न-(किमनर्यफलं ) अनर्थका फल क्या है। उत्तर -- (मानसमसंगतं) मनकी असंगता होना ही अनर्थका फल है। ३९ प्रश्न-(का मुखावहा) सुखदेनेवाली क्या वस्तु है । उत्तर-(मैत्री) सर्व जीवोंसे मित्रता ही मुखदेनेवाली है । ४० प्रभ-(सर्वव्यसन विनाचे को दसः) समस्त व्यसनोके (दुःखोंके) नाश करनेमें चतुर कौन है । उत्तर-(सर्वया त्यागः) परिग्रह आदिका सर्वथा त्याग करना ही सब व्यसनोंको नाश करनेवाला है ॥ १५ ॥ कोन्यो यो कार्यरतः को बधिरो यः शृणोति न हितानि ।
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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