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________________ १५ प्रम-(कत्मादपबिह) इस संसारमें भय किससे होता है) उत्तर-(मरणात्) मरणसे। १६ पन-(अधादपि को विशिष्यते । नेत्रान्धसे भी अधिक बन्धा कौन है उत्तर-(रामी) रागयुक्त जीव । १७ प्रभ-( शरः) शूरवीर कौन है । उत्तर-(यो सलनालोच. नवागनं च व्यषितः) जो पुरुष स्त्रीके चंचल नेत्रोंके कटाक्षबाणोंसे व्यथिन नहीं हुआहै ॥ ८॥ पातुं कर्णाअलिभिः किममृतमिव बुध्यते सदुपदेशः। किं गुरुताया मूलं यदेतदमार्थनं नाम ॥ ९॥ १८ प्रश्न--(पातुं कर्माभिमः किममृतामेव बुध्यसे) कर्णरूपी अंजुलिसे अमृत के समान पीनेयोग्य क्या पदार्थ है । उत्तर-(सदुपदेशः) मे उपदेश । १९ प्रश्न-(किं गुरुताया पूलं ) गुरुताकी ( गम्भीरताकी ) जड क्या है । उत्तर-(यदेतदमार्वनं नाय) जो अपने लिये किसीसे वाचना नहिं करना वही गुरुता है ॥ ९ ॥ किं गहनं स्रीचरितम् कश्चतुरो यो न खण्डितस्तेन । किं दारिद्यमसन्तो पएव किं लाघवं याचा ॥१०॥ २० प्रभ-(किमान) गहन दुर्गम कठिनतासे जानने योग्य
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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