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________________ बनारसीविलासः २१ उठै बाद मरजाद मिटै सब; सुजन हंस नहिं पावहिं कूल - । बढ़त पूर पूरै दुख संकट; यह परिग्रह सरितासम तूल ॥ ४१ ॥ मालिनी । कलहकलभविन्ध्यः कोपगृध्रश्मशानं व्यसनभुजगरन्धं द्वेषदस्युप्रदोषः । सुकृतवनदवाग्निर्मार्दवाम्भोदवायु र्नयनलिनतुषारो ऽत्यर्थमर्थानुरागः ॥ ४२ ॥ मनहरण । कलह गयन्द उपजायवेको विधगिरि; कोप गीध अघायको सुस्मशान है । सकट भुजंगके निवास करवेको विल; वैरभाव चौरको महानिशा समान है | कोमल सुगुनघनखंडबेको महा पौन; पुण्यबन दाहवेको दावानल दान है । नीत नय नीरज नसावेको हिम रासि; ऐसो परिग्रह राग दुखको निधान है ॥ ४२ ॥ शार्दूलविक्रीडित | प्रत्यर्थी प्रशमस्य मित्रमधृतेर्मोहस्य विश्रामभूः पापानां खनिरापदां पद्मसद्ध्यानस्य लीलावनम् । व्याक्षेपस्य निधिर्मदस्य सचिवः शोकस्य हेतुः कलेः केलीवेश्म परिग्रहः परिहृतेर्योग्यो विविक्तात्मनाम् ४३ tetort torte to te to te to teet tor betort teet
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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