SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगे तीन और शेष तीनों दिशाओं में दो-दो अलिंद हों, तो प्रासाद; और आगे चार और पीछे तीन अलिंद होने पर 'द्विवेध' नाम के घर होते हैं। ये आठों यथानाम तथागुण हैं। तथापि उनके विशिष्ट शुभाशुभ फल बताए गए हैं (दूसरे से छठे तक क्रमशः): युगांत स्थिरता; चारों वर्णों का हितचिंतन; अकाल-दंड: सद्बुद्धि सिद्धि । सोलह प्रकार के आवास गृह घरों का वर्गीकरण कहीं-कहीं बहुत ही मनोरंजक आधार पर किया धान्य 2 ध्रुव जय 3 नंद 4 SSSS खर 5 SS IS दुर्मुख 9 SSS) क्षय 13 ss 11 (जैन वास्तु-विद्या ISSS कान्त 6 IS IS क्रूर 10 ।ऽऽ। आकन्द 14 5 ISS Is ।। मनोरम 7 सुपक्ष 11 5151 विपुल 15 JL सोलह प्रकार के आवास- गृह SIII IISS सुमुख B धनद 12 1151 विजय 16 48
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy