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________________ आठ प्रकार के आवास गृह वास्तु-विद्या में आवास गृहों का वर्गीकरण कईप्रकार से हुआ है। कक्षो और अलिंदों के आकार-प्रकार, संख्या, दिशानुसार स्थिति आदि की दृष्टि से आवास गृह सोलह हज़ार तीन सौ चौरासी (16384) प्रकार के हो सकते हैं। राज-भवन त्रैलोक्य- सुंदर आदि के नाम से चौंसठ (64) प्रकार के हो सकते हैं। आवास गृहों के प्रकार घरों के प्रसिद्ध भेद हैं: सूर्य, वासव, वीर्य, कालाक्ष, बुद्धि, सुव्रत, प्रासाद और द्विवेध | इनके विमलादि, सुंदरादि एवं हंसादि सोलह-सोलह भेद हैं। सूर्य 1 बुद्धि 5 ]]]} वासव 2 SA सुव्रत 6 वीर्य 3 LEJLIS प्रासाद 7 111 कालाक्ष 4 द्विवेध 8 अलिंद-आधारित आठ गृह ; दाएँ-बाएँ एक-एक कक्ष के साथ आगे तीन अलिंद होने पर 'सूर्य' चार अलिद होने पर 'वासव' आगे तीन और पीछे दो अलिंद होने पर 'वीर्य'; आगे-पीछे दो-दो और दाएँ एक अलिंद हो, तो 'दंड'; आगे तीन और दाएँबाएँ दो-दो अलिंद हों, तो 'बुद्धि': चारों ओर दो-दो अलिंद होने पर 'सुव्रत': (जैन वास्तु-विद्या
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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