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________________ इसका प्रथम प्रकाशन पाढम-निवासी पं. मनोहरलाल शास्त्री ने हिंदी अनुवाद के साथ तैयार कर अपने श्री जैनग्रंथ-उद्धारक कार्यालय, मुंबई से 1917 में किया था। प्रस्तुत पुस्तक में इस ग्रंथ की भी सहायता ली गई है। ठक्कुर फेरु का 'वत्यु-सार-पवरण' वास्तु-विद्या पर स्वतंत्र और सांगोपांगरूप से वर्णन करनेवाला कदाचित् एकमात्र प्रकाशित जैनग्रथ है ठक्कुर फेरु का 'वत्थुसार पयरण' अर्थात् 'वास्तुसार प्रकरण' | 1315 ई. में लिखित इस प्राकृत ग्रंथ में क्रमशः 158, 54 और 70 गाथाओं के क्रमशः तीन अध्याय हैं: गृह-प्रकरण, बिंबपरीक्षाप्रकरण, प्रासाद (मंदिर) - प्रकरण । इतनी कम गाथाओं में वास्तु-विद्या और शिल्प कला के अधिसंख्य पक्षों का विधान इस ग्रंथ की एक विशेषता है। साथ ही इसमें दिगंबर श्वेतांबर भेदभाव नहीं है, जबकि इसके लेखक श्वेतांबर - परपरा के श्रावक थे। इसके संदर्भ 'आचार-प्रदीप', 'श्राद्ध-विधि' आदि जैनेतर ग्रंथों में भी दिए गए हैं। 'रत्न- परीक्षा' नामक ग्रंथ के भी लेखक ठक्कुर फेरु दिल्ली के निकट करनाल के धंध कुल में उत्पन्न कालिक सेठ के प्रपौत्र और ठक्कुर चद्र सेठ के पुत्र थे। उन्होंने यह ग्रंथ उस समय लिखने का साहस किया, जब तत्कालीन शासक अलाउद्दीन खिलजी से सभी धर्मों के अनुयायी त्रस्त थे । 'वत्थु - र -सार-पयरण' का प्रकाशन जैन विविध ग्रंथमाला, जयपुर से 1936 में हुआ था; इसके संपादक-अनुवादक पं. भगवानदास जैन थे। प्रस्तुत पुस्तक के निर्माण में यह आधार-ग्रंथ है। अन्य विषयों के ग्रंथों में वास्तु-विद्या वास्तु-विद्या के लिए पुराण-साहित्य का योगदान भी महत्त्वपूर्ण है। इस विषय पर आचार्य जिनसेन ने हरिवंशपुराण' (783 ई.) में अत्यधिक विस्तार से लिखा है। उनके बाद उल्लेखनीय हैं: आचार्य पुष्पदन्त (10वीं शती) का अपभ्रंश 'महापुराण', आचार्य हेमचन्द्र सूरि (12वीं शती) का प्राकृत तिसट्ठिमहापुरिस - गुणालंकार, आचार्यकल्प पंडित आशाधर (13वीं शती) का त्रिषष्टिश्लाकापुरुष - चरित' आदि । इनके अतिरिक्त काव्य, नाटक, चंपू आदि ग्रंथों में विभिन्न नगरों, राजप्रासादों, जिनालयों आदि के वर्णन आते हैं; उनसे भी वास्तु-विद्या के स्वरूप पर अच्छा प्रकाश पड़ता है। ज्योतिष के ग्रंथों में भी मकान, मंदिर जैन वास्तु-विद्या 13
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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