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________________ (५८) । प्र० ११२-प्रायश्चितादि ही निर्जरा है। इस वाक्य-पर निर्जरातत्व सम्बन्धी जीव-की भूल का स्पष्टीकरण कीजिये ?. - - - . . उ०-प्रश्नोतर १०१, से १०८ तक के अनुसार उतर दो। । प्र० ११३-शरीर का सुखाना ही निर्जरा है। इस वाक्य पर निर्जरातत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिये? . -उल-प्रश्नोतर १०१ से १०८ तक के अनुसार उत्तर दो। . । .प्र० १.१४-पानी न पीना ही तृषा परिषहजय रूप निर्जरा है। इस वाक्य पर निर्जरातत्त्व सम्बन्धी जीव को भूल का स्पष्टीकरण 'कीजिए? ' । '.. उ० प्रश्नोत्तर १०१ से १०८ तक के अनुसार उत्तर दो।- , ., प्र० ११५-धूप मे खडे रहना ही निर्जरा है। इस वाक्य पर निर्जरातत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? ' उ०-प्रश्नोतर,१०१-से, १०८ तक के अनुसार उतर दो। ., ___ प्र० ११६-सर्दी का सहना ही निर्जरा है। इस वाक्य पर निर्जरातत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिये ? . उ०-प्रश्नोतर १०१ से १०८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ११८-महीनों का उपवास ही निर्जरा है। इस वाक्य पर निर्जरातत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? ... उ०-प्रश्नोतर १०१ से १०८ तक के अनुसार उत्तर दो। - प्र० ११६-शुद्ध भोजन खाने से ही निर्जरा है। इस वाक्य पर निर्जरातत्व सम्बन्धी, भूल का स्पष्टीकरण कीजिये ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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