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________________ ( १३२ ) प्र० १०-माया क्या है ? उत्तर-किसी परद्रव्य को इष्ट मानकर उसे प्राप्त करने के लिये व सम्बन्ध बना रखने के लिए व उसका विघ्न दूर करने के लिए जो छल-कपटरूप गुप्त कार्य करने की इच्छा का होना उसे माया कहते प्र० ११-लोभ क्या है ? उत्तर-अन्य किसी परद्रव्य को इष्ट मानकर उससे सम्बन्ध मिलाने व सम्बन्ध रखने की इच्छा होना सो लाभ है। प्र० १२-कषाय इच्छा क्या है ? उत्तर-इस प्रकार उन चार प्रकार की प्रवृत्ति का नाम कषाय इच्छा है। प्र० १३-भोग इच्छा क्या है ? उत्तर-पाच इन्द्रियो को प्रिय लगनेवाले जो परद्रव्य उनको रतिरूप भोगने की इच्छा का होना उसका नाम भोग इच्छा है। प्र० १४ रोगाभाव इच्छा क्या है ? उत्तर-क्षुधा-तृषा, शीत-उष्णादि व कामविकार आदि को मिटाने के लिये अन्य परद्रव्यो के सम्बन्ध की इच्छा होना उसका नाम रोगाभाव इच्छा है। प्र० १५-जब मोह इच्छा की प्रबलता हो तब बाकी तीन इच्छाओं का क्या होता है ? उत्तर- इस प्रकार चार प्रकार की इच्छा है, उनमे से किसी एक ही इच्छा की प्रबलता रहती है तथा शेष तीन इच्छाओ की गौणता रहती है। प्र० १६-जब मोह इच्छा प्रबल हो तब कषाय इच्छा का क्या होता है ? उत्तर- जैसे-मोह इच्छा प्रबल हो तो तब पुत्रादिक के लिये पर
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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