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________________ क्षायोप(१) चौथे गुण चारित्र है बाप क्षय ( 134 ) प्रश्न १८६-जीव के चारित्र गण के परिणमन मे औदायिक, क्षायोपशमिक, औपशमिक और क्षायिकपना किस-किस प्रकार है ? उत्तर-(१) चौथे गुणस्थान मे अनन्तानुवन्धी के अभावरूप क्षयोपशम हुआ है वह तो क्षयोपशमिक चारित्र है बाकी औदयिकभावरूप है। (2) पाँचवे गुणस्थान मे अप्रत्याख्यान के अभावरूप क्षयोपशम है वह तो क्षायोपशर्मिकरूप देशचारित्र है बाकी औदयिकभावरूप है / (3) छठे गुणस्थान मे तीन चौकड़ी के अभावरूप क्षायोपशमिक चारित्र है वह तो सकलचारित्र है वाकी औदयिकभावरूप है (4) सातवे गुणस्थान मे सज्वलन का मन्द उदय है वह औदयिकभाव है और जो शुद्ध है वह क्षायोपशमिक चारित्र है (5) दसवे गुणस्थान मे सज्वलन के लोभ को छोडकर बाकी का क्षपयोशमदशा है वहाँ क्षायोपशमिक चारित्र है और लोभ का औदयिक भाव है / (6) ११वे गुणस्थान मे औपशमिकचारित्र है और १२वें गुणस्थान मे क्षायिकचारित्र है। चारित्र मे क्षायिकपना होने पर सादिअनन्त रहता है। प्रश्न १८७-ज्ञानगुण की पर्याय मे निमित्त-नैमित्तिक क्या है ? उत्तर-(१) ज्ञानगुण की औदयिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक तीन प्रकार की अवस्था नैमित्तिक है और ज्ञानावरणीय कर्म का उदय, क्षय और क्षयोपशम तीन प्रकार की अवस्था निमित्त है। (2) क्षयोपशम पहले गुणस्थान से १२वे गुणस्थान तक होता है वह ज्ञान का क्षायोपशमिक भाव है और जितना-जितना उदयरूप है वह आंदयिकभाव है। (3) १३वें गुणस्थान से सिद्धदशा तक क्षायिक केवलज्ञान दशा है। प्रश्न १८८-ज्ञान की आठ पर्यायो मे से क्षायोपमिक दशा कितनो मे है ? उत्तर-ज्ञान की सात पर्यायो मे क्षायोपशमिक दशा है। प्रश्न १८६-ज्ञान की आठ पर्यायों मे से क्षायिकदशा कितनो में
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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