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________________ 1 ( १२२ ) उत्तर - पारिणामिक भाव, औदयिक भाव, क्षायोपशमिक भाव तीन होते है । प्रश्न ८० - चौथे से चौदहवें गुणस्थान तक कौन-सा भाव हो सकता है ? उत्तर - क्षायिकभाव हो सकता है। प्रश्न ८१ - चौथे से ग्यारहवें तक कौन-सा भाव हो सकता है ? उत्तर - पशमिक भाव हो सकता है । प्रश्न ८२ - पहले गुणस्यान से १४ठो तक कौन-सा भाव होता है 7. उत्तर - ओदयिक भाव हो सकता है । प्रश्न ८३- पहले गुणस्थान से लेकर १२वे गुणस्थान तक कौनसा भाव होता है उत्तर - क्षायोपशमिक भाव हो सकता है । प्रश्न ८४ - सिद्ध और सब संसारियो में भी होवे, ऐसा कौन-सा भाव है ? उत्तर - पारिणामिक भाव सिद्ध और ससारी दोनो मे हैं । प्रश्न ८५ - सिद्धो मे ना होवे ऐसे कौन-कौन से भाव हैं ? उत्तर- औदयिक, क्षायोपशमिक और अपशमिक भाव सिद्धो मे नही हैं । प्रश्न ८६ - ससारी मे ना होवे ऐसे कौन-कौन से भाव हैं ? उत्तर- ऐसा कोई भी नही है क्योकि समुच्चयरूप से ससारियो मे पाँचो भाव हो सकते है । प्रश्न ८७ - सब संसारी जीवो में होवे वह कौन सा भाव है उत्तर- औदयिक भाव है जो निगोद से लेकर १४वे गुणस्थान तक सब जीवो मे है । प्रश्न ८५- - निगोद से लगाकर सिद्ध तक के ज्यादा जीवों में होवे वह कौन सा भाव है ? उत्तर- औदयिक भाव है ।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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