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________________ ( १२० ) प्रश्न ६४-११वें गुणस्यान में जो चारित्र है वह कौन सा भाव बताता है ? उत्तर-चारित्र का औपशमिक भाव बताता है। प्रश्न ६५-परिपूर्णशुद्धि का प्रगट होना कौनसा भाव बताता है ? उत्तर-क्षायिक भाव बताता है। प्रश्न ६६--किस भाव के आश्रय से धर्म की शुरूआत होती है ? उत्तर--एक मात्र पारिणामिक भाव के आश्रय से ही होती है। प्रश्न ६७-अज्ञानी का कुमति आदि ज्ञान दुखरूप है या सुखरूप है ? उत्तर-अज्ञानी का ज्ञान दुखरूप नही है उसके साथ मोह का जुडान होने के कारण दु ख का कारण कहा जाता है, क्योकि वह अपने ज्ञान को प्रयोजनभूत कार्य मे ना लगाकर अप्रयोजनभूत कार्य मे लगाता प्रश्न ६८-सिद्ध अवस्था मे कितने भाव होते हैं ? उत्तर–पारिणामिक भाव और क्षायिकभाव दो होते है । प्रश्न ६९-चौदहवें गुणस्थान मे कितने भाव होते हैं ? उत्तर-तीन हैं । पारिणामिक, क्षायिक और औदयिक भाव । प्रश्न ७०-१३ वें गुणस्थान में कितने भाव होते हैं ? उत्तर–तीन है । पारिणामिक, क्षायिक और औदयिक भाव । प्रश्न ७१-बारहवें गुणस्थान मे कितने भाव होते हैं ? उत्तर-चार है। पारिणामिक भाव, श्रद्धा और चारित्र का क्षायिक भाव, औदयिक भाव और क्षायोपशमिक भाव।। प्रश्न ७२- ग्यारहवें गुणस्थान में कितने भाव होते हैं ? उत्तर-(१) यदि क्षायिक सम्यदृष्टि जीव उपशम श्रेणी मांडता है तो ११वे गुणस्थान मे पांचो भाव होते है । (२) यदि द्वितीयोपशम सम्यग्दृष्टि श्रेणी मांडता है तो ११वे गुणस्थान में क्षायिक भाव को छोडकर चार भाव होते है।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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