SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १५६ ) उत्तर---ौदारिक, वैक्रियक और आहारक-इन तीन शरीरों में कान्ति उत्पन्न करने वाले शरीर को तैजस शरीर कहते हैं। प्रश्न (१८८ --कामणि शरीर किसे कहने हैं ? उत्तर-ज्ञानावरणादि पाठ कर्मों के समूह को कार्माण शरीर कहते हैं। प्रश्न (१८६)-एक जीव को एक साथ कितने शरीरों का संयोग हो सकता है ? उत्तर-एक साथ कम से कम दो और अधिक से अधिक चार शरीरों का संयोग होता है ? खुलासा इस प्रकार है -- (१) विग्रह गति में तेजस, कार्माण शरीरों का संयोग होता है । (२) मनुष्य और तिर्यचों के प्रौदारिक, तेजस और कार्माण इन शरीरों का संयोग होता है। (३) आहारक-ऋद्धिधारीक मुनि को प्रौदारिक, आहारक तैजस और कार्माण-ऐसे चार शरीरों का संयोग होता है। (४) देव और नारकियों को वैक्रियिक, तेजस और कार्माण-इन शरीरों का संयोग होता है। प्रश्न (१९०)-स्कंध के कितने भेद हैं ? उत्तर-आहारवर्गणा, तैजसवर्गणा. भाषावर्गणा, मनोवर्गणा, ____ कार्माण वर्गणा इत्यादि २२ भेद हैं। प्रश्न (१६१)-पाहारवर्गणा किसे कहते हैं ? उत्तर-जो पुद्गल स्कंध प्रौदारिक, वैक्रियिक, और आहारक इन शरीर रुप से परिणमन करता है उसको माहार वर्गणा कहते हैं। प्रश्न (१९२)-क्या माहारवर्गणा इन तीन शरीर रुप ही
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy