SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०७ ) उत्तर-प्रदेशत्व गुण द्रव्य के सम्पूर्ण भागों तथा उसकी सम्पूर्ण अवस्थाओं में रहता है। प्रश्न (४६)-अगुरुलघुत्व गुण को गुण की परिभाषा में लगायो ? उत्तर----अगुरुलघुत्व गुण द्रव्य के सम्पूर्ण भागों में तथा उसकी ___ सम्पूर्ण अवस्थानो में रहता है। प्रश्न (४७)-भोक्त त्व अभोक्त त्व गुण को गुण की परिभाषा में लगायो ? उत्तर--भोक्त त्व और अभोक्त त्व गण प्रत्येक द्रव्य के सम्पूर्ण भागों तथा सम्पूर्ण अवस्थाओं में रहता है। प्रश्न (४८)-कर्तत्व और अकर्तृत्व गुण को गुण की परिभाषा मे लगायो? उत्तर-कतत्व और अकर्त,त्व गुण प्रत्येक द्रव्य के सम्पूर्ण भागों तथा सम्पूर्ण अवस्थानों में रहता है। प्रश्न (४६) गुण की विशेषता क्या है ? उत्तर-(१) गुण द्रव्य के प्राश्रय से रहते है। (२) गुण द्रव्य के विशेष हैं। (३) गुण स्वयं निविशेष हैं। (४) सर्वगुण द्रव्य के प्रदेशों में इकठ्ठ रहते हैं। (५) गुण कंथचित् परिणमनशील हैं। (६) गुण कथंचित् परिणमनशील नहीं है। प्रश्न ५०)--गुणों के जानने से क्या क्या लाभ है ? उत्तर-गुणों के द्वारा प्रत्येक वस्तु, भिन्न भिन्न हाथ पर रक्खी हुई की पावले तरह दृष्टि में आ जाती है। जिससे भेद
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy