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________________ (१०८) विज्ञान की प्राप्ति हो जाती है और अनादि से एक एक समय करके पर मे कर्तापने और भोक्तापने की बुद्धि का प्रभाव होकर धर्म की प्राप्ति हो जाती है। प्रश्न (५१)--एक द्रव्य में कितने गुण हैं ? उत्तर-प्रत्येक द्रव्य मे अनन्त अनन्त गुण हैं । प्रश्न (५२)-प्रत्येक द्रव्य में अनन्त अनन्त गुण हैं उसका कोई माप है ? उत्तर-(१) जीव द्रव्य अनन्त हैं। (२) जीव से अनन्तानन्त गुण अधिक पुद्गल द्रव्य हैं। (३) पुद्गल द्रव्य से अनन्तानन्त गुणा अधिक तीन काल के समय हैं। (४) तीन काल के समयों से अनन्त गुणा अधिक आकाश द्रव्य के प्रदेश है। (५) आकाश द्रव्य के प्रदेशों से अनन्त गुणा अधिक एक द्रव्य में गुण हैं। प्रश्न (५३)-गुणों को 'सहभू" क्यों कहते हैं ? उत्तर-गुण सब मिलकर साथ साथ रहते हैं। पर्यायों की तरह क्रम से नहीं होते हैं इसलिए भगवान ने गणों को "सहभू" कहा है। प्रश्न (५४)-भगवान उमास्वामी ने तत्वार्थ सूत्र में गुण का लक्षण क्या बताया है ? उत्तर-तत्त्वार्थ सूत्र के पांचवे अध्याय के ४१वें सूत्र में "द्रव्याश्रया निर्गुणाः गुणाः' अर्थात् जो द्रव्य के प्राश्रय
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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