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________________ ( ४५ ) कहा जाता है । आटे को त्रिकाली साधन कहा जाता है। वाई के राग को, चकला, वेलन, तवा, आग, धर्म, अधर्म - आकाश और काल को निमित्त साधन कहा जाता है । प्रश्न १४८ - रोटी का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता ही है ऐसा मानने से किस-किस साघन से दृष्टि हट गई ? उत्तर - वार्ड का राग - चकला, बेलन, तवा, धर्म, अधर्म, आकाश काल आदि निमित्त से, त्रिकाली आटे से अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय लोई से दृष्टि हट जाती है । , प्रश्न १४६ -- रोटी का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय को योग्यता ही है तब करण कारक को माना तो इसको जानने से पात्र जीवों को क्या लाभ होना चाहिए ? उत्तर -- जैसे- रोटी का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता रोटी ही है, उसी प्रकार विश्व मे जितने भी कार्य हैं उन सब कार्यो का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता ही है-ऐसा जानतेमानते ही चारो गतियो के अभावरूप धर्म की प्राप्ति होना यह इसको जानने का लाभ है । प्रश्न १५० -- क्या सम्यग्दर्शन का उत्कृष्ट साधन देव-गुरु हैंइसमे करण कारक को लगाओ ? उत्तर - प्रश्न १४६ से १४६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न १५१ - क्या मोक्ष का साधन शरीर है इसमे करणकारक लगाओ ? उत्तर - प्रश्न १४६ से १४६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न १५२ -- क्या चरित्र का साधन पच महाव्रत है ? इसमें करण कारक को लगाओ । उत्तर - प्रश्न १४६ से १४६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न १५३ –– क्या घड़े का उत्कृष्ट साधन कुम्हार है ? करण कारक को लगाओ । इसमें
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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