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________________ ( ४४ ) केवलज्ञान है तब तो करण कारक माना और केवलज्ञान का साधन वज्रवृपभनाराच सह्नन कहे तो करण कारक को नहीं माना प्रश्न १४४ - केवलज्ञान का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय कों योग्यता केवल ज्ञान ही है, अन्य नहीं हैं, तो अन्य साधनो मे क्या-क्या आया? उत्तर- वज्रवृपभनाराच सहनन, चौथा काल, केवलज्ञानावरणीय का क्षय, आत्मा, आत्मा के अनन्त गुण, अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय भाव श्रुतज्ञान, आदि अन्य साधनों में आते है । प्रश्न १४५ - केवलज्ञान का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता केवलज्ञान ही है तब करण कारक को माना- इसको जानने से दया लाभ है ? उत्तर -- जैसे केवलज्ञान का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता ही है, उसी प्रकार विश्व मे अनन्त द्रव्य है । प्रत्येक द्रव्य मे अनन्त अनन्त गुण है । प्रत्येक गुण मे जो-जो कार्य हो चुका है, हो रहा है, भविष्य में होगा उन सब का साधन मात्र उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण ही है। ऐसा मानते ही चारो गतियो के अभावरूप धर्म की प्राप्ति होना - यह करण कारक को जानने का लाभ है । प्रश्न १४६ - क्ण रोटी का उत्कृष्ट साधन चकला बेलन हैं ? इससे करण कारक को कर माना और कब नही माना । उत्तर - रोटी का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण रोटी है तो करण कारक को माना और रोटी का उत्कृष्ट साधन चकला - वेलन आदि है तो करण कारक को नही माना । प्रश्न १४७ - रोटी का उत्कृष्ट साधन उस समय पर्याय की योग्यता है तब दूसरे साधनो को किस किस नाम ने उत्तर - अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय लोई को ? कहा जाता है अभाव रूप साधन
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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