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________________ ( ४१ ) उत्तर-कर्म कारक को माने तो मोक्ष तत्व सवधी भूल मिटे । प्रश्न १२४-कर्म कारक को मानने से मोक्ष तत्व सबंधी भूल कैसे मिटे ? उत्तर-भाव मोक्ष का कर्ता "उस ममय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण" है। जीव, अजीव, आस्रव, वध, सवर, निर्जरा उसका कर्ता नहीं है । देखो, कर्म कारक को मानने से भाव मोक्ष तत्व सम्वन्धी भूल दूर हो गई। प्रश्न १२५-वह हमारी तारीफ करते थे, आज निन्दा क्यों ? इस वाक्य मे कर्म कारक को कब नहीं साना ? और कब माना? उत्तर-वह हमारी तारीफ करते थे, आज निन्दा क्यो ? ऐसी मान्यता वाले ने कर्मकारक को नहीं माना और निन्दा उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण ले हुई तो कर्मकारक को माना। प्रश्न १२६-वह पहिले लखपति था, आज भिकारी कैसे हो गया? कर्मकारक को कब नहीं माना और कब माना ? उत्तर-प्रश्न १२५ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२७-वह आज सुबह ठीक था, अब कैसे मर गया ? कर्म कारक को कब नहीं माना और कब माना? उत्तर-१२५ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२८-उसका स्वास्थ्य अभी ठीक था अब एकदम कैसे विगड गया । कर्म लारक को कब नहीं माना और कव माना ? उत्तर--प्रश्न १२५ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२६-हम दिनरात तत्त्व का अभ्यास करते हैं सम्यग्दर्शन क्यो नहीं होता है ? कर्म कारक को कब नहीं माना और कब माना ? उत्तर-प्रश्न १२५ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३०-अंजनचोर महापापी उमी भव से मोक्ष कैसे चला गया? फर्म कारक को कब नहीं माना और कब माना ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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